Lok Sabha Chunav Phase 6 Voting Live: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए फेज 6 की वोटिंग शुरू, दांव पर लगी इन दिग्गजों की साख
योगेंद्र यादव भाजपा की हालत खराब बता रहे
अपने चुनाव विश्लेषणों से चर्चित रहे योगेंद्र यादव का कहना है कि उन्होंने जमीनी स्तर पर चुनावी माहौल का जायजा लिया है, इसलिए वे अपनी बात दावे के साथ कह सकते हैं। योगेंद्र यादव का दावा है कि आम चुनाव की घोषणा से पहले उन्होंने भाजपा को 250 से कम सीटें आने का अनुमान लगाया था। तब यह महज उनका अनुमान था। पर, जमीनी स्तर के आकलन से अब स्पष्ट होने लगा है कि उनका अनुमान लगभग सही था। योगेंद्र यादव की मानें तो भाजपा ही नहीं, उसके नेतृत्व में बने एनडीए को इस बार 268 सीटों से अधिक नहीं मिलने वाली। यानी नरेंद्र मोदी तीसरी बार सत्ता में नहीं आ रहे। बहुमत के लिए 272 सीटें आवश्यक हैं।बिहार में 15 सीटों का नुकसान बता रहे योगेंद्र
बिहार के बारे में योगेंद्र यादव का दावा है कि एनडीए को पिछली बार की तरह 40 में 39 सीटें जीतने की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए। इस बार हवा का रुख बदला हुआ है। वे अपने जमीनी आकलन के आधार पर बता रहे हैं कि बिहार में एनडीए को कम से कम 15 सीटों का नुकसान होगा। इनमें 10 सीटें भाजपा की सहयोगी पार्टियों की होंगी। अकेले भाजपा को पांच सीटों का नुकसान हो सकता है। बिहार में विपक्षी गठबंधन के नेता तेजस्वी यादव की लोकप्रियता बढ़ने की योगेंद्र यादव बात करते हैं। उनका तो यहां तक कहना है कि यूपी में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव की उतनी लोकप्रियता नजर नहीं आती, जितनी नौकरी देने वाले के रूप में तेजस्वी की लोकप्रियता बढ़ी है।प्रशांत किशोर की राय योगेंद्र से मेल नहीं खाती
देश के दूसरे चर्चित चुनावी विशेषज्ञ हैं प्रशांत किशोर। अभी वे बिहार में जनसुराज यात्रा कर रहे हैं, जो जल्द ही पूरी होने की उम्मीद है। जनसुराज का राजनीतिक दल के रूप में रजिस्ट्रेशन भी हो चुका है। पर, इससे अलग चुनावी रणनीतिकार के रूप में प्रशांत किशोर की पहचान अधिक है। उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के लिए काम किया था। तब सर्वे और ओपिनियन पोल के आंकड़े भाजपा को बंगाल की सत्ता में आने का अनुमान लगा रहे थे। अकेले प्रशांत किशोर इस बात पर अडिग थे कि भाजपा डबल डिजिट से आगे नहीं बढ़ेगी। उनका अनुमान सटीक निकला। भाजपा को 77 सीटें ही आईं। प्रशांत किशोर ने इस बार लोकसभा चुनाव के बारे में भी अपना अनुमान जाहिर किया है। प्रशांत कहते हैं कि चार सौ पार तो एनडीए के लिए संभव नहीं है, लेकिन पिछली बार की ही तरह नरेंद्र मोदी ही सरकार बनाते दिख रहे हैं। वे बताते हैं कि भाजपा पिछली बार की तरह ही 303 सीटों के आसपास रहेगी, जबकि एनडीए के सहयोगी दलों को भी कुछ सीटें जरूर मिलेंगी। यानी विपक्ष का यह अनुमान बेकार है, जिसमें भाजपा की सीटें कोई 150 तो कई दो सौ से नीचे बता रहा है। प्रशांत को बिहार में भी कोई बड़ा डेंट दिखाई नहीं दे रहा। उनका मानना है कुछ सीटें इधर-उधर हो सकती हैं, लेकिन यह ऐसा नुकसान नहीं होगा, जिससे माना जाए कि एनडीए को भारी नुकसान बिहार में हो गया।भाजपा के कोर मतदाता ही लगा देंगे नैया पारभाजपा के कोर मतदाता ही लगा देंगे नैया पार
सारे अनुमानों को किनारे कर कुछ बुनियादी तथ्यों पर गौर करें तो स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। पहला यह कि 2014 में नरेंद्र मोदी पीएम पद के लिए भाजपा के बिल्कुल अचर्चित चेहरा थे। उससे पहले कभी किसी ने पीएम पद के बारे में सोचा भी होगा तो उनके जेहन में लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह जैसे नेताओं की ही छवि पीएम उम्मीदवार के रूप में रही होगी। नरेंद्र मोदी को फिर भी देश ने पूर्ण बहुमत से सत्ता सौंपी। इसकी वजह क्या थी ?- पहला- गुजरात दंगों की वजह से नरेंद्र मोदी को देश के बहुसंख्यक समाज ने हिन्दुत्व की रक्षा करने वाले के रूप में देखा।
- दूसरा- सीएम रहते गुजरात की तरक्की को उन्होंने विकास के माडल के रूप में स्थापित किया। वे राम मंदिर की चिंता करने वाले लगे। बाद में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने वाले और जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने वाले नेता के रूप में लोगों ने उन्हें देखा।
- तीसरा- पाकिस्तान को सबक सिखाने वाले 56 इंच के सीने की उनकी बात पर लोगों को यकीन था। सत्ता में आते ही मोदी ने धारा 370 को समाप्त किया। तीन तलाक पर कानून बनाया। अब तो राम मंदिर भी बन गया। पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) को हर हाल में हासिल करने का मोदी सरकार वादा कर रही है।
यानि जिन बुनियादी कारणों से लोगों ने 2014 में मोदी का साथ दिया और पांच साल के उनके कामों पर भरोसा कर 2019 में उन्हें और मजबूत बनाया, वे अचानक उनसे क्यों बिदकेंगे? यानी भाजपा ने जो अपना कोर वोट बैंक बनाया है, उसके कहीं से भी दरकने का तो कोई कारण ही नजर नहीं आता। महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे विपक्ष उछाल रहा है। अब ये मायने नहीं रखते। इसलिए कि बढ़ती आबादी की वजह से ये समस्याएं स्वाभाविक हैं। ये मुद्दे पहले भी इतने ही गंभीर थे और आज भी वैसे ही हैं। बीते 10 साल के अपने कार्यकाल में मोदी ने मुफ्त राशन, पीएम आवास, किसान सम्मान निधि, उज्जवला जैसी कई योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचा कर अपने वोट बैंक में इजाफा ही किया है। ऐसे में प्रशांत किशोर का आकलन योगेंद्र यादव के मुकाबले सच के करीब ज्यादा लगता है।